झारखंड के पलामू में एक नया धर्म फल-फूल रहा है, ‘पर्यावरण धर्म’। आज 5 जून-विश्व पर्यावरण दिवस पर हम आपको बता इस पर्यावरण धर्म के प्रणेता श्री कौशल किशोर जायसवाल के बारे में। श्री कौशल किशोर जायसवाल पिछले 56 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण अभियान चला रहे हैं। उनका ‘वन राखी मूवमेंट’ पर्यावरण संरक्षण के लिए देश में चलाए गए अब तक के सबसे प्रमुख और प्रभावी अभियानों में शुमार है, जिसे महान पर्यावरणविद श्री सुंदरलाल बहुगुणा के ‘चिपको आंदोलन’ के समकक्ष ही रखा जाता है। पर्यावरण के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें देश-विदेश में कई प्रतिष्ठित अवार्डों से नवाजा चुका है।
पलामू जिले के डाली गांव के रहने वाले 70 वर्षीय श्री कौशल किशोर जायसवाल जिससे भी मिलते हैं, उसे पर्यावरण धर्म की शपथ दिलाते हैं और उस पर चलने का वचन लेते हैं। लोगों को चेताते हैं कि हमने वृक्षों और वनों को नहीं सहेजा तो तय मानिये कि चौथा विश्व युद्ध हवा के लिए ही होगा। शिवहरेवाणी से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में हम सब देख चुके हैं कि आक्सीजन के लिए कैसी मारामारी हुई थी। यह आने वाले संकट का संकेत है। हमें संभल जाना चाहिए और पर्यावरण धर्म अपनाकर वन और वृक्षों के संरक्षण के उपाय करने चाहिए। उन्होंने पर्यावरण धर्म के 8 मूलमंत्र घोषित कर रखे हैं-जीवन के हर खास अवसर पर पौधारोपण, जल संग्रह एवं संरक्षण, वनों की रक्षा, जमीन में फर्टिलाइजर के उपयोग से परहेज, जानवर, पक्षी और प्रकृति की रक्षा।
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