पर्यावरणविद ने सावित्री पूजा पर बट का पौधेरोपण कर कहा
– पति प्रकृति व पर्यावरण की रक्षा के लिए ही किया जाता है वट सावित्री पूजा: डॉ कौशल
– हिन्दू संस्कृति के अनुसार सदियों से होती आ रही है वट वृक्ष की पूजा: मुखिया पूनम पार्षद अमित
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जिस गांव में बरगद , पीपल, पाकड़ और नीम के पेड़ होते हैं उस गांव के लोग स्वस्थ और सुखी होते हैं : डॉ कौशल
फ़ोटो- शपथ दिलाते पर्यावरणविद डॉ कौशल
मेदिनीनगर । पलामू।झारखंड
सोमवार को विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वनराखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद ट्री मैन डॉ कौशल किशोर जायसवाल ने वट सावित्री पूजा के अवसर पर मेदिनीनगर के आबादगंज स्थित अपने आवास पर्यावरण भवन के आकाश बाग में पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ बरगद (वट )का पौधा लगाया। । उन्होंने सावित्री पूजा पर उपस्थित महिलाओं को वटवृक्ष ,देवी सावित्री और भगवान सत्यवान के बारे में विस्तृत जानकारी दी। वट सावित्री पूजा कराने के उपरांत पर्यावरणविद डॉ कौशल ने पूजा में शामिल सभी महिलाओं को पर्यावरण धर्म के आठ मूल ज्ञान मंत्रों को शपथ दिलाई। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में वृक्षों की पूजा की परम्परा सदियों से आ रही है। परन्तु वट वृक्ष का पूजा करने का एक अलग ही धार्मिक महत्व है। क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक वट वृक्षों पर त्रिदेव ब्रह्मा ,विष्णु महेश का वास होता है। इतना ही नहीं जिस गांव में बरगद ,पाकड़, पीपल और नीम के पेड़ होते हैं उस गांव के लोग स्वस्थ और सुखी होते हैं।
वनराखी मूवमेंट के प्रणेता डॉ कौशल ने कहा कि अन्य वृक्षों की तुलना में बट वृक्ष का अलग महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह भगवान बुद्ध को पीपल के पेड़ के नीचे ही ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उसी प्रकार वट वृक्ष के नीचे ही माता सावित्री को अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान को दोबारा जिंदा करने में कामयाबी मिली थी।
छतरपुर पूर्वी केजिला पार्षद अमित जायसवाल ने कहा कि उनके पूजनीय पिता सह पर्यावरण धर्मगुरु ने पृथ्वी , प्रकृति , सृष्टि और पर्यावरण की रक्षा के लिए ही पर्यावरण धर्म की शुरुआत किया है। पर्यावरण धर्म के तहत सभी जाति धर्म सम्प्रदाय के लोग एकत्रित होकर पर्यावरण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करते है।
संस्था के प्रधान सचिव व डाली बाजार के मुखिया पूनम जायसवाल ने कहा कि उनके पूजनीय पति सह पर्यावरणविद ने अपना घर परिवार में रहकर महापुरुषों की तरह निःस्वार्थ अपनी निजी खर्चों पर पृथ्वी से प्रदूषण के सफाया के लिए वनों पर रक्षाबंधन और पौधारोपण कर मानव के साथ-साथ 84 लाख योनि जीवों की आजादी की लड़ाई लड़ रहे है ।
कार्यक्रम में प्रो अरुण कुमार जायसवाल,कोमल जायसवाल, शिल्पा जायसवाल,प्रेमा पांडेय, रिमझिम सिंह, जयंती पांडेय, ज्योति सिंह, आदि शामिल थी ।
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