*विश्व जल दिवस पर पर्यावरणविद कौशल ने कहा है कि*
पौधा लगाने और वनों को बचाने से ही लोगों को मिलेगा पर्याप्त जल और घटेगी प्रदूषण: कौशल
– कार्यक्रम में शामिल लोगों को जल संरक्षण करने की दिलाई शपथ
* मेदिनीनगर।प्रतिनिधि*
विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्म व वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने विश्व जल दिवस के अवसर पर लोगो से जल संरक्षण के लिए पौधा लगाने और वनों को बचाने की अपील की । उन्होंने कहा कि जिस तरह से अंधाधुंध वनों की कटाई हो रही है वैसी स्थिति में जल संकट की स्थिति उतपन्न होने से कोई रोक नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि अगर तीसरा विश्वयुद्ध तो वह जल के लिए ही होगा। पर्यावरणविद ने कहा कि जल संकट और ऑक्सीजन संकट टालने के लिए सभी को पर्यावरण धर्म को अपनाना होगा। तभी हम उस विभीषिका से बच सकते है। उन्होंने कहा कि 1966 में महाकाल की भयावह स्थिति से भला कौन वाकिफ नहीं है। उस समय जल संकट के साथ-साथ अन्न संकट का भारी सामना करना पड़ा था । उस समय भी गांव के इक्का-दुक्का कुआं के पानी सुख गया था और बोतल में पानी नहीं बिकता था। परंतु आज भूमिगत जल स्तर इतना नीचे गिर गया कि कहीं-कहीं कोई कुवां में पानी मिलता है। जिसके कारण केवल भारत में प्रतिदिन लगभग 35 लाख बैरल पानी लोगों को खरीदना पड़ता है । यही हाल रही तो आने वाली पीढ़ी के लिए लोगों के पास कोई जबाब नहीं बचेगा। अभी से लोग सचेत नहीं हुए तो धरती से कई प्रजाति विलुप्त हो गयी। जल संरक्षण के उन्होंने कई उपायों पर भी चर्चा कर निदान बताया।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा कि जल संकट और ऑक्सीजन संकट को टालने के उद्देश्य वे 1967 में जंगल लगाओ , जंगल बचाओ अभियान कार्यक्रम का शुभारंभ किया था। उन्होंने अपनी निजी खर्चों पर पौधरोपन और वितरण अभियान का शुरुआत अपने जन्म भूमि पलामू जिले के छतरपुर अनुमंडल के ग्राम डाली बाजार से किया था । आज 55 वर्षों में दुनिया के करीब 34 देशों में पुस्तक न्यू फाउंड आउट जी के राइटर अमेरिका के नील ओ ब्रेन , बेली ओ ब्रेन और पुस्तक टेजर चेस्ट लेखक अंजना सा उर्मिला राय ने 2010 से पर्यावरणविद कौशल के कार्यों की बच्चों को शिक्षा दी जाती है ।
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