*प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणि जी की 15 वीं पुण्यतिथि पर पर्यावरणविद् ने लगाया कपूर रुद्राक्ष के पौधे कहा*
*मृत आत्मा की शांति के लिए पिंड पानी और धरती मां की धधकती आत्मा के शांति के लिए पौधा पानी देना होगा कौशल*
*किसी महान व्यक्ति के या घर का गार्जियन की साया सर से हट जाए तो उनके नाम की फलदार पौधा लगाकर उसकी छाया लेना होगा कौशल*
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बैरिया स्थित शाखा में संस्था की पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी प्रकाशमणिजी के 15वें पुण्य स्मृति दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य अतिथि विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के प्रनेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन परिसर में विलुप्त प्रजाति के पौधा हिमाचल के कपूर और नेपाल का रुद्राक्ष का पौधा पर्यावरण के प्रार्थना के साथ लगाते हुए कहा कि मृत आत्मा की शांति के लिए पिंड पानी और धरती मां के धधकती आत्मा के शांति के लिए धरती मां को पौधा पानी देना जरूरी है
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा कि जिस प्रकार से माता पिता अपने परिवार को स्वस्थ सुख शांति के लिए काम करते हैं ठीक उसी तरह एक वृक्ष लोगों को 10 तरह की सहायता करता है
वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल ने कहां की आजादी के अमृत महोत्सव पर इस वर्ष प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था के द्वारा कल्पतरु कार्यक्रम का उद्घाटन आकाशवाणी डालटेनगंज के प्रांगण से और समापन आज करने का अवसर मिला है दादी जी के बताए मार्ग पर चलने का सभी को प्रयास करना होगा संस्था के भाई बहनों ने दादीजी की तस्वीर के समक्ष पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। दादीजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए रजनी बहन ने बताया कि दादी प्रकाशमणि, पवित्रता और दिव्यता की प्रतिमूर्ति थी। जिन्होंने अध्यात्म के पथ पर चलकर समस्त मानवता के कल्याण का कार्य किया। दादीजी निरंतर योगी, दूरदृष्टा और कुशल प्रशासक थी, उनके नेतृत्व ने संस्था को असीम ऊंचाइयां दी। तथा विश्व के 138 देशों में आध्यात्मिक ज्ञान का प्रकाश फैलाया। इतने बड़े संगठन की मुख्य होते हुए भी अभिमान उन्हें छू भी नहीं पाया। दादीजी नारी सशक्तिकरण की मिसाल थी। उन्होंने माताओं बहनों को शक्ति का स्वरूप दिया। समाज में शांति, सद्भावना तथा नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए की जा रही सेवाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने उन्हें ‘शांति दूत’ सम्मान से नवाज़ा।
ऐसी महान विभूति दादीजी ने 25 अगस्त 2007 को अपनी भौतिक देह का त्याग कर अव्यक्त स्थिति को प्राप्त किया। उनका मार्गदर्शन आज भी लाखों ब्रह्मा वत्सों के लिए प्रेरणा स्रोत है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल तथा सांसद प्रतिनिधि विजय ओझा ने भी दादीजी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कौशल किशोर ने पर्यावरण को हरा भरा रखने के लिए सभी को वृक्ष लगाने की प्रेरणा दी विजय ओझा ने संस्था की सेवा की सराहना करते हुए कहा कि यहाँ आकर शांति और सुकून की अनुभूति होती है। मौके पर संस्था के भाई बहन काफी संख्या में उपस्थित थे।
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