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*पटाखा फोड़कर प्रदूषण की आग से समाज के लोगों* *का सुकून तबाह न करें: पर्यावरणविद*

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*पटाखा फोड़कर प्रदूषण की आग से समाज के लोगों* *का सुकून तबाह न करें: पर्यावरणविद*

*पटाखा फोड़कर प्रदूषण की आग से समाज के लोगों* *का सुकून तबाह न करें: पर्यावरणविद*
*पर्यावरणविद कौशल ने केंद्रीय विद्यालय मैथन के बच्चों को पढ़ाया पर्यावरण धर्म के पाठ*
पलामू से शुरू पर्यावरणविद का अभियान देश के नौ राज्यों में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, और झारखंड के 13 जिलों में पौधारोपण कर वृक्षों पर रक्षाबंधन कर पर्यावरण धर्म के पाठ पढ़ाये
*मेदिनीनगर, पलामू*
धनबाद के निरसा अनुमंडल के मैथन केंद्रीय विद्यालय परिसर में कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर्यावरण धर्म व वनराखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने दीपावली के शुभ अवसर पर देश वासियों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा है कि प्रदूषण की आग पूरे विश्व मे लगी है । सभी देशवासियों को मिलकर बुझाने की जरूरत है । उन्होंने देशवासियों से दीपावली में दीप जलाकर विद्या रूपी प्रकाश फैलाकर घर में लक्ष्मी को बुलाए । पटाखा जैसी शत्रु को छोड़कर प्रदूषण की आग न लगाएं । पटाखा छोड़ने से एक साथ कई प्रदूषण नामक शत्रु का जन्म होता है। उससे वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, सामाजिक प्रदूषण, धार्मिक प्रदूषण और शारीरिक प्रदूषण के साथ धरती और ब्रह्मांड पर रहने वाले 84 लाख योनि जीवों को नुकसान पहुंचाता है । प्रदूषण की आग बुझाना है तो दीप जलाकर प्रकाश फैलावें पटाखा छोड़कर अंधकार नहीं ।
पर्यावरणविद कौशल ने कहा कि आज धनबाद जिला 64 वा वर्ष मना रहा है क्योंकि आज के ही दिन 24 अक्टूबर 1956 को बंगाल से कटकर अपना अस्तित्व में आया था। यहां के लोग विकसित भी हुए पर उससे कई गुना अधिक अपने और आने वाले पीढ़ी को भी खतरे में डाल दिए। इसका सबूत है कि धनबाद अधिक प्रदूषण वाले विश्व के तीसरा जिला एवं भारत के पहला जिला हो गया है । इसका प्रमुख कारण खदानों में हुई सिस्टम की घोर लापरवाही के कारण प्रदूषण की आग खदान के अंदर और बाहर धधक रही है । यह धधकती आग पानी से नहीं शुद्ध हवा से बुझेगी शुद्ध हवा बनाने का कोई उद्योग नहीं बल्कि प्रकृति उद्योगी पेड़ पौधे है। यहां के सभी लोगों को पर्यावरण धर्म के 8 मूल मंत्रों को अपनाना होगा । नहीं तो लोगों को असमय काल के गाल में समा जाना पड़ेगा। समापन पर्यावरण धर्म के स्लोगन सोचे साथ क्या ले जायेंगे एक पौधा लगाएंगे तो सात पीढ़ी तर जाएंगे, के साथ हुई।
। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नावेद पराशर समेत कई वक्ताओं ने अपने संबोधन में पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल की ओर से काफी लंबे अरसे से निःस्वार्थ और निःशुल्क किये जा रहे समाज सेवा के कार्यों को देश और समाज के लिए सराहनीय कदम बताया। संचालन नवल किशोर गुप्ता ने की। जबकि धन्यवाद ज्ञापन राजीव रंजन ने किया। कार्यक्रम में शिक्षक जोसेफ कुंडू, संजय कुमार, कुलदीप तिवारी, समर सिंह, निपा विश्वास, बबन सिंह ,अंबालिका, सोनाली और माधुरी मिश्रा के साथ सैकडों स्कली बच्चे शामिल थे।

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