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अंग्रेजी हुकूमत से भी अधिक खतरनाक है पर्यावरण प्रदूषण :पर्यावरणविद कौशल

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अंग्रेजी हुकूमत से भी अधिक खतरनाक है पर्यावरण प्रदूषण :पर्यावरणविद कौशल

अंग्रेजी हुकूमत से भी अधिक खतरनाक है पर्यावरण प्रदूषण :पर्यावरणविद कौशल
मेदिनीनगर। पलामू
सूबे के लोहरदगा जिले के कुडू कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्म व वनराखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल किशोर जायसवाल ने पर्यावरण धर्म पर आयोजित गोष्ठी का उद्घाटन आठ मूल मंत्रों की शपथ के साथ पौधा लगाकर तथा समापन पौधा वितरण कर किया। उन्होंने छात्रों को पर्यावरण का पाठ भी पढ़ाया। पर्यावरणविद द्वारा निःशुल्क पौधा वितरण व रोपण के 53 वां वर्ष और पर्यावरण धर्म व वन राखी मूवमेंट के 43 वर्ष पूरा होने के उपरांत देश के 10 राज्यों में अभियान चलाकर दो लाख निःशुल्क पौधा वितरण व रोपण के साथ पर्यावरण धर्म पर गोष्ठी का आयोजन का लक्ष्य निर्धारित किया है । निर्धारित लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए इस अभियान की शुरुआत एक जुलाई को कर दी गई है। अभियान को आगे बढ़ाते हुए शनिवार को पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों की शपथ दिलाते हुए पर्यावरणविद श्री कौशल ने कहा है कि देश को मानव जैसे शत्रु से आजादी तो मिली है पर पर्यावरण प्रदूषण नामक शत्रु से अभी तक आजादी नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देशवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत को देश से उखाड़ फेंकने के लिए आपसी एकजुटता दिखाकर लाखों वीर सपूतों की बलिदानी देकर देश को आजादी दिलाई थी। ठीक उसी तरह पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों की शपथ लेकर देश के सभी बच्चे से बूढ़े को पौधा लगाने और वनों को बचाने का दृढ़ संकल्प लेना होगा तभी हम देश को पर्यावरण प्रदूषण जैसी शत्रु से आजादी दिलाने में कामयाबी हासिल कर सकेंगे। पर्यावरणविद कौशल ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत तो केवल मानव को नुकसान पहुंचाता था लेकिन प्रदूषण जैसी विनाशक शक्ति तो पूरी दुनिया के सभी सजीव- निर्जीव को नुकसान पहुंचा रहा है । जिससे प्राकृतिक आपदाएं बढ़ गयी है। जिसका दुष्परिणाम कहीं लोग पानी में बह रहे हैं तो कहीं पानी के एक -एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। इतना ही नहीं बेतहासा ठनका गिरने से भी कई बेगुनाह लोग काल के गाल में असमय समा जा रहे हैं। जो किसी से छिपी हुई नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते लोग पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों को नहीं अपनाया तो धरती के बढ़ते बेतहासा तापमान और जल संकट के साथ ऑक्सीजन संकट से भी जूझना तय है। श्री जायसवाल ने पर्यावरण धर्म के स्लोगन के साथ समापन मैं कहा कि “वनों की सुरक्षा केवल लाठी से नहीं वनराखी से होगी” “रक्षाबंधन केवल मानव के कलाई पर नहीं वनों के पेड़ों पर होना अति जरूरी है” वार्डन सीमा समेत सभी शिक्षिकाएं ने श्री जायसवाल द्वारा चलाए जा रहे अभियान का पूजनीय गुरु बताया । कार्यक्रम की अध्यक्षता वार्डन सीमा कुमारी , संचालन राखी कुमारी ने किया। मौके पर कस्तूरबा के शिक्षिका शकुंतला कुजुर ,रीता कुमारी, अंजला मिंज सहित कई शिक्षिका और छात्राएं शामिल थी।

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