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वन वृक्षों पर पांच दिनी कार्यक्रम के समापन पर सम्मानित किए गए अभियान में शामिल सैकड़ों प्रकृतिप्रेमी

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वन वृक्षों पर पांच दिनी कार्यक्रम के समापन पर सम्मानित किए गए अभियान में शामिल सैकड़ों प्रकृतिप्रेमी

*पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल द्वारा चलाए गए वनों पर रक्षाबंधन के 45 वां वर्ष पूर्ण होने पर चल रहे* *पांच दिवसीय कार्यक्रम के समापन पर बोले* *पर्यावरणविद*
*सुरक्षा देने वाले भाई और संरक्षा देने वाला प्रकृति के वन वृक्षों पर रक्षाबंधन से होती है धरती और ब्रह्मांड के 84 लाख योनि जीवों की होती है सुरक्षा*
* वन वृक्षों पर पांच दिनी कार्यक्रम के समापन पर सम्मानित किए गए अभियान में शामिल सैकड़ों प्रकृतिप्रेमी*
फ़ोटो : – वन वृक्षों पर रक्षाबंधन करते कौशल व पर्यावरण प्रेमी
*छतरपुर /पलामू /लातेहार , लोहरदगा झारखंड*
विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत वनों पर रक्षाबंधन कार्यक्रम के 45 वां वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित पांच दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 22 अगस्त को की गई थी। कार्यक्रम का समापन 26 अगस्त को लोहरदागा जिले के सलगी प्राचीन शिव मंदिर परिसर में रुद्राक्ष और कपूर के पौधा लगाकर एवं लातेहार जिले के प्रसिद्ध वन क्षेत्र पतकी के वनों पर रक्षाबंधन के उपरांत किया गया। पांच दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत पलामू जिले के छतरपुर अनुमंडल अंतर्गत वन क्षेत्र डाली , शाही, मुरुमदाग व केरकी के वनों पर रक्षाबंधन कर किया गया था। ततपश्चात पौधा वितरण और रोपण के साथ पर्यावरण धर्म पर गोष्ठी भी आयोजित की गई थी। इस दौरान अभियान से जुड़े प्रकृति प्रेमियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। पांच दिनी कार्यक्रम में
वन राखी अभियान के अगुआ पर्यावरणविद कौशल किशोर ने कहा कि वन राखी मूवमेंट की शुरूआत से पूर्व तक लोग वनों की सुरक्षा केवल लाठी से ही करते आ रहे थे। लेकिन जब वनों पर राखी बांध कर उसकी सुरक्षा सुनिश्चित की गई तो इस दिशा में अबतक वनों को संरक्षित और सुरक्षित करने में काफी हद तक सफलता मिली। उन्होंने कहा कि वृक्ष में वह जीव है जो धरती और ब्रह्मांड के 84 योनि जीवों की परोपकार निहित है।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा कि सन 1966 में जब लोग महा आकाल की चपेट में थे तब न तो उनके पास खाने के लिए पर्याप्त अन्न थे और न पीने के लिए समुचित पानी। उस दुर्भिक्ष से सबक लेते हुए उन्होंने 1967 से जंगल लगाने और उसे बचाने की अभियान के तहत पौधरोपण किया। बाद में जब उन पौधों को वन माफियाओं को अवैध रूप से कटाई की जाने लगी तब उसे बचाने के लिए कौशल ने 1976 में पर्यावरण धर्म की शुरुआत की। इतना ही नही उन्होंने 1977 में वनों को कटने से रोकने के उद्देश्य से उन वृक्षों को भाई मानकर रक्षासूत्र बांधने का अभियान चलाया। इस अभियान में शामिल लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें अंगवस्त्र देकर समय समय पर सम्मानित किया। जिससे वनों को बचाने में काफी सफलता मिली। यहां तक इस अभियान की सफलता के कारण सरकार को वर्ष 1981 में वनों की नीलामी पर भी रोक लगाना पड़ा। जिससे उजड़े वन फिर से गुलजार हो गए।
इस अभियान के तहत वन राखी मूवमेंट के अगुआ कौशल नेपाल भूटान समेत देश के 22 राज्यों के 85 जिलों में लगभग 7 लाख से अधिक वृक्षों पर राखी बंधन कर चुके हैं। इस अभियान के तहत पर्यावरणविद कौशल ने अपने निजी खर्चों पर अबतक देश विदेश के लाखों लोगों को पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों का पाठ पढ़ाया। जिससे उनके जीवन में कई उपलब्धियां जुड़ी हुई है। वहीं समाज के लोग भी आज लाभान्वित हो रहे हैं तथा स्वयं अभियान से भी जुड़ गए हैं। पांच दिवसीय कार्यक्रम में शामिल प्रमुख लोगों में डाली बाजार के मुखिया अमित कुमार जयसवाल , उप मुखिया अफजल अंसारी ,रामजी प्रसाद ,कृष्णा प्रसाद, सुचित कुमार, ज्योति कुमार,अकु कुमार कुमारी, शिल्पा कुमारी, फुलवादेवी बसीर अंसारी, जुबेर अंसारी, गुलाम गौस ,भूषण प्रसाद, श्याम देव सिंह, पंडित बिनोद मिश्रा सुशीला देवी रामजन्म यादव ,धर्मदेव यादव, विनोद यादव, महावीर भुईयां, श्यामदेव पासवान, रामदेव पासवान, समेत सैकड़ो प्रकृतिप्रेमी महिला पुरुष और नौजवान शामिल थे।।

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