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वन राखी मूवमेंट के तहत वृक्षों पर राखी बांध कर वृक्षों की रक्षा करते आ रहे है, पर्यावरणविद

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वन राखी मूवमेंट के तहत वृक्षों पर राखी बांध कर वृक्षों की रक्षा करते आ रहे है, पर्यावरणविद

रक्षाबंधन स्पेशल – वन राखी मूवमेंट के तहत वृक्षों पर राखी बांध कर वृक्षों की रक्षा करते आ रहे है, पर्यावरणविद एवं पर्यावरण धर्मगुरु कौशल किशोर जायसवाल

>> रक्षाबंधन स्पेशल – 44 वर्षो से वन राखी मूवमेंट के तहत पेड़ो पर राखी बांध कर पेड़ो की रक्षा करते आ रहे है, पर्यावरणविद एवं पर्यावरण धर्मगुरु कौशल किशोर जायसवाल साथ ही पर्यावरण संरक्षण अभियान भी 54 वर्षो से चला रहे है

>> पर्यावरण और प्रकृति के प्रति 54 वर्षों से देशभर के लोगों को जगाने वाले पर्यावरणविद अब पर्यावरण धर्मगुरु से हुए विख्यात

>> दुनियां के तीन महान हस्तियों के साथ पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल की जीवनी की होती है 11 वर्षों से पढ़ाई

>> पर्यावरण धर्मगुरु अपने निजी खर्चों पर पूरा किया इस अभियान का 54 वां और पर्यावरण धर्म व वन राखी मूवमेंट का 44 वां वर्ष

>> देश विदेशों के लाखों लोगों को पढ़ाया पर्यावरण धर्म की पाठ

>> विश्व के 15 देशों और भारत के 21 राज्यों के 78 जिलों में अबतक 39 लाख पौधे किया निःशुल्क वितरण सह रोपण

>> पांच लाख वन वृक्षों पर रक्षाबंधन कर इस अभियान में शामिल लोगों को अंगवस्त्र देकर किया सम्मानित इससे हजारों एकड़ उजड़े वनो को फिर से उगाने में मदद मिली है

>> प्रत्येक वर्ष की तरह पर्यावरणविद कौशल जून 2021 तक देश के 15 से 17 राज्यों में लगभग 2 लाख पौधों का करेंगे निशुल्क वितरण व रोपण

पर्यावरण और प्रकृति की रक्षा के लिए पिछले 54 वर्षों से दुनियां भर के लोगों को जागरूक करने वाले
पर्यावरण धर्मगुरु व पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल की जीवनी की पढ़ाई विश्व के तीन महान सपूत सेवकों की जीवनी के साथ पिछले 11 वर्षों से हो रही है।

बिल ग्रेट , संत मदर टेरेसा और महात्मा गांधी जैसे महान सपूतों के साथ कौशल किशोर की जीवनी पढ़ाई जाती है। इस अवधि में उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार से नवाजा गया। इनके कार्यों से प्रभावित होकर यूपी सरकार के मंत्री अनूपमा जायसवाल ने उन्हें सम्मानित किया है। कोलकाता में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्हें समाजसेवा का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। झारखंड के मुख्यमंत्री, राज्यपाल , विधानसभा अध्यक्ष, पीसीसीएफ एवं बोकारो में गौरीशंकर ओझा पर्यावरण मित्र पुरस्कार 2015 के अलावे पंजाब , कर्नाटक ,नेपाल हिमाचल प्रदेश समेत देश के दर्जनों राज्यों में अब तक 46 अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। पर्यावरणविद कौशल किशोर ने बड़े कम उम्र से ही पौधारोपण का शुभारंभ वर्ष 1967 में अपनी जन्म भूमि झारखंड राज्य के पलामू जिले के छतरपुर प्रखंड के डाली बाजार गांव से किया था। शुरुआती दौर में वे अपनी निजी भूमि (7.72 एकड़ ) पर पौधरोपण किया था। वे बताते हैं कि वर्ष 1966 में जब सम्पूर्ण देश महा आकाल की चपेट में आया। तब उस समय लोगों के पास न तो खाने के अन्न थे और न ही पीने को पानी ।

उस स्थिति का आकलन करते हुए उनके पिता मोहनलाल खुर्जा जो पेशे से एक साधारण किसान थे, ने कहा था कि यह भीषण समस्या लोगों के समक्ष वनों की कटाई के कारण ही उतपन्न हुई है।
तब श्री कौशल ने अपने पिता की बातों से प्रभावित होकर दृढ़ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ जंगल बचाओ ,जंगल लगाओ अभियान की शुरुआत की। ताकि दुबारा यहां के लोगों को यह दुर्दिन देखने को नहीं मिले। जब उन्होंने पौधा लगाने की शुरुआत की तब किसान अपनी भूमि पर पौधा लगाने से डरते थे । उन्हें भय था कि उनकी निजी ज़मीन पर लगे जंगल कहीं सरकार न ले ले। फिर भी कौशल ने अपने इस अभियान को बंद नहीं होने दिया। एक छोटी सी गांव से निकला अभियान आज दुनिया को पर्यावरण की रक्षा और पौधारोपण करने पर विवश कर दिया।

उन्होंने पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा, जॉर्ज एजेंट्स (यूएसए), सरोज शर्मा (नेपाल) ,प्रोफेसर हैट्रिक व पेट्राके (जर्मनी), इंद्रजीत कौर (पंजाब),अशोक कुमार( जम्मू कश्मीर) पांडुरंग हेगड़े (कर्नाटक) रामकृष्ण हेगड़े( केरल) के साथ देश के कई दर्जनों प्रमुख पर्यावरण विदों के साथ इस अभियान को गति दिया। इतना ही नहीं पलामू परी क्षेत्र डीआईजी विपुल शुक्ला व साकेत कुमार सिंह , डीसी डॉ. शांतनु कुमार अग्रहरि, अमित कुमार, मनोज कुमार एसपी अजय लिंडा, मयूर पटेल, इंद्रजीत महाथा क्षे0 वन सं0 डॉ मोहनलाल सीएफ , कुमार मनीष के साथ-साथ सैकड़ों आईएस आईपीएस एवं आईएफएस के साथ पर्यावरण धर्म कार्यक्रम में निशुल्क पौधा वितरण सह रोपण कर कीर्तिमान स्थापित किया।

पर्यावरणविद कौशल के द्वारा लगाए गए पौधे 10 वर्षों के बाद वृक्ष होने पर जब कटने लगे तभी वे वृक्षों को काटने से बचाने के लिए पर्यावरण धर्म चलाया । उसके आठ मूल मंत्रों के साथ वृक्षों पर रक्षाबंधन कर इस अभियान को आगे बढ़ाया। इससे उनके द्वारा लगाए गए पौधे के साथ सरकार द्वारा कटाई किए जाने वाले वनों की नीलामी भी बंद कराने में सफलता मिली। वनराखी मूवमेंट की शुरूआत आज से 44 वर्ष पहले की गयी थी ।

वर्तमान हालात को देखते हुए वन राखी मूवमेंट के अगुआ कौशल का मानना है कि अभीआजादी की दूसरी लड़ाई बाकी है प्रदूषण के खिलाफ जिस रफ्तार से धरती का तापमान बढ़ रही है वैसी हालात में 84 लाख योनि जीवों पर जल संकट के साथ-साथ ऑक्सीजन संकट भी होना तय है। उस भयावह स्थिति से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों को अपनाना होगा।

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