*रक्षाबंधन पर पर्यावरणविद ने विलुप्त प्रजाति का पौधा लगाते हुए कहा कि*
*वृक्षों पर राखी बांधकर भी किया जा सकता है पेड़ों की सुरक्षा*
*वनों की सुरक्षा केवल लाठी से नहीं वनराखी से होगी: कौशल*
वृक्षों पर रक्षाबंधन व शपथ दिलाते कौशल व स्कूली बच्चे
*चैनपुर पलामू झारखंड*
जिले के चैनपुर स्प्रिंग फील्ड इंटर नेशनल हाई स्कूल में वन राखी मूवमेंट के 46 वां वर्ष और निशुल्क पौधा वितरण सह रोपन के 56 वां वर्ष गांठ पर आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने विलुप्त प्रजाति का पौधा लगाकर किया। उन्होंने आजादी के 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव एवं राष्ट्रीय रक्षाबंधन पर देशवासियों को बधाई देते हुए व पर्यावरण धर्म के प्रार्थना के साथ विलुप्त प्रजाति के पौधे कल्पतरूई, नेपाल के रुद्राक्ष,भूटान के सिंदूर, कर्नाटक के सफेद चंदन, हिमाचल के कपूर, परिजात के पौधे लगाया। पर्यावरणविद ने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को पर्यावरण धर्म के 8 मूल ज्ञान मंत्रों की शपथ भी दिलाई । उन्होंने वृक्षों पर रक्षा बंधन करते हुए कहा कि वनों की सुरक्षा केवल लाठी से नहीं वनराखी से भी किया जा सकता है। रक्षाबंधन पर जिस तरह भाई अपनी बहन की सुरक्षा का संकल्प दुहराता है ठीक उसी प्रकार सभी देशवासियों को इस पवित्र अवसर पर पेड़ों पर राखी बांधकर उसकी सुरक्षा का संकल्प लेना चाहिए। तभी हम बेतहाशा बढ़ते प्रदूषण की आग से बच सकते हैं। वनराखी मूवमेंट के अगुआ कौशल ने बच्चों को पर्यावरण धर्म के पाठ पढ़ाते हुए कहा कि 1967 में उनके द्वारा लगाए गए पौधौं को बड़े होने पर जब 1977 में माफियाओं द्वारा काटा जाने लगा तो उसे रोकने के उद्देश्य पर्यावरण धर्म के 8 मूल मंत्र के तहत वृक्षों को भाई मानकर वे 1977 में पहला बार रक्षाबंधन की शुरुआत किया था। उन्होंने
छतरपुर के ग्राम डाली के वनों पर रक्षा सूत्र बांध कर अभियान का शुभारंभ किया था। बाद में अभियान के रूप में वन राखी मूवमेंट को नेपाल भूटान समेत देश के 22 राज्यों के 108 जिलों में अब तक 10 लाख से अधिक वृक्षों पर राखियां बांधकर लोगों को जागरूक किया।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने कहा है कि वनों से सांसो का रिश्ता है । जिस प्रकार से बहन अपने मानव रूपी भाई का रक्षाबंधन करती है उसी प्रकार से जीवन रूपी भाई वृक्ष पर भी रक्षाबंधन अति जरूरी है । भारतीय संस्कृति में पेड़ों को देवता का स्वरूप मानकर उसकी पूजा करने की परंपरा है।
बीपीएसए संस्था के कर्नाटक के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर ने पर्यावरण पर प्रकाश डालते हुए लोगों को पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्र को अपनाने को कहा। कार्यक्रम की
अध्यक्षता कर रहे स्कूल के प्राचार्य धीरज कुमार गुप्ता ने पर्यावरणविद कौशल के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पौधे को लगाकर उसे बच्चे की तरह देखभाल करने की जरूरत है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रिंसिपल अतुल कुमार गुप्ता, काशी प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, प्रदीप कुमार, मनोज गुप्ता प्रीति कुमारी, माही ज्योति, अमृत सोनम, प्रिया, मुस्कान, सचिन, सूचित, अर्चना, सरिता, निशा, एवं अंजनी समेत स्कूली बच्चों शामिल थे।
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