*जन्माष्टमी पर पर्यावरणविद ने देश वासियों को शुभकामनाएं देते हुए कृष्ण भगवान का प्रिय वृक्ष कदम समेत 8 दुर्लभ प्रजाति के पौधे लगाते हुए कहा*
*भगवान के समान होते हैं पेड़ पौधे , नहीं मानने वालों को कोरोना काल ने बताया ऑक्सीजन कहां से मिलता है*
फ़ोटो – पौधा लगाते पर्यावरणविद कौशल
*मेदिनीनगर पलामू झारखंड*
मेदिनीनगर के पांकी रोड टेढवा पुल स्थित अपना फार्महाउस परिसर में कृष्णा जन्माष्टमी पर विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु वनराखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने भगवान कृष्ण के प्रिय वृक्ष कदम समेत आठ दुर्लभ प्रजाति के पौधे भोजपत्र, रेडलेडी पपीता, केरल, दालचीनी, नेपाल,रुद्राक्ष, हिमाचल,कपूर, कर्नाटक, सफेद चंदन, एवं भूटानी नींबू और सिंदूर लगाकर जन्मोत्सव मनाया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण जीवन के हर संघर्ष को उत्साह और उत्सव में बिताया। वे 16 कलाओं से परिपूर्ण थे । जिन्होंने जीवन को रोचक, रोमांचक और ऐतिहासिक बनाने के लिए खुद ही संकट और संघर्ष को जन्म दिया था। बाद में उसका निवारण के उपाय भी उन्होंने अपने भक्तों को सुझाया था। उनके जीवन में प्रेम और योग की पराकाष्ठा का भी अद्वितीय संगम था। बाल योगेश्वर भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता के बहाने परम सत्य, अकाट्य, अप्रतिम और अद्भुत तथा कालातीत अमर विचार लोगों को दिया है। उनके जन्म- जीवन और मृत्यु के रहस्य को बड़े बड़े विद्वान और ऋषि महर्षि भी समझ नहीं पाए। उन्होंने माता- पिता ,सखा और सखी की अद्भुत परिभाषाएं दीं । जो वर्णातित है । सत्+चित्+आनंद के समिश्रण भगवान सच्चिदानंद के अवतरण दिवस पर पर्यावरणविद ने देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की है ताकि सबका जीवन सुखमय और खुशमय बना रहे।
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