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पर्यावरणविद की तत्परता से कुएं में गिरी हिरन की बचाई गयी जान

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पर्यावरणविद की तत्परता से कुएं में गिरी हिरन की बचाई गयी जान

पर्यावरणविद की तत्परता से कुएं में गिरी हिरन की बचाई गयी जान
– वर्ष 2009 में भी उत्तराखंड के जिम्स कार्बेट नेशनल पार्क के बाघ का बचाया था जान
– सरकार ने उसे आदमखोर साबित कर मारने का दिया था आदेश, वर्ल्ड लाइफ के आरबी लाल और मेनका गांधी ने भी किया था सहयोग
*वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा सब का दायित्व*: *पर्यावरणविद*
*छतरपुर पलामू झारखंड*
जिले के छतरपुर अनुमंडल के डाली बाजार गांव के एक कुएं में गिरी हिरन को पर्यावरणविद कौशल किशोर की ततपरता से उसे वन विभाग के कर्मियों ने पहुंचकर बचा लिया है। 29 मार्च की सुबह वहां के मुखिया अमित कुमार जायसवाल के चाचा सुचित कुमार जायसवाल ने इसकी सूचना दूरभाष पर विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्मगुरु व वन राखी मूवमेंट के प्रनेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल को दिया। उन्होंने बताया कि गांव के अरविंद यादव के कुएं में एक हिरण गिर गयी है। सूचना मिलते ही पर्यावरणविद कौशल ने बिना बिलंब किये इसकी जानकारी डीएफओ स्वामीत शुक्ला, सीएफ आशीष कुमार एवं डायरेक्टर कुमार आशुतोष को दिया। सूचना पर वन विभाग के कर्मियों अनवर अंसारी, लक्ष्मी कांत पांडे, प्रियदर्शनी प्रमोद, राजेश गुप्ता, रोशन सिंह, मुखराज , विनोद, अखिलेश,ने डाली बाजार गांव पहुंचकर उस हिरन को कुएं से निकाला। उसे छतरपुर अस्पताल में इलाज करा कर छतरपुर के महुवरी बन रोपन में छोड़ दिया गया।
पर्यावरण धर्मगुरु कौशल ने इस कार्य के लिए वन विभाग के सभी कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अनुरोध
किया है कि गर्मी आते ही पानी की घोर कमी हो जाती है ऐसे में प्यासे वन्य प्राणी पानी की तलाश करते गांव पहुंच जाते है। जिससे उनकी जानों पर खतरा बढ़ जाती है।
वन प्राणियों की जान बचाने के लिए वन राखी मूवमेंट के प्रणेता कौशल ने सूबे के प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री अजय रस्तोगी( डोरंडा झारखंड सरकार रांची )से आग्रह किया है कि राज्य के सभी वन क्षेत्रों में जानवरों को पानी पीने के लिए बौलिया कुएं का निर्माण कराया जाए । जिसमें जानवर पानी पीकर कुआं से बाहर निकल जाए । उस आकृति के कुएं का निर्माण पहले के राजा महाराजाओं भी जानवरों को पानी पीने के लिए ( बौलियां कुआं) कराते थे।
पर्यावरणविद कौशल किशोर ने कहा है कि वर्ष 2009 में उत्तराखंड के जिम्स कार्बेट नेशनल पार्क के बाघ को आदमखोर घोषित कर मारने को आदेश सरकार द्वारा जारी किया गया था। जिसकी सूचना उत्तराखंड के पर्यावरणविद धूम सिंह नेगी ने श्री जायसवाल को दिया था तब श्री जायसवाल ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वर्ल्ड लाइफ के आरबी लाल( दिल्ली )और पर्यावरणविद सह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को जानकारी देते हुए पार्क के संरक्षक से पर्यावरणविद ने उस संदर्भ का उल्लेख करते हुए कहा था कि बाघ यदि गांव में आकर लोगों को मारे तो आदमखोर घोषित किया जा सकता है। लेकिन कोई महिला जंगल में लकड़ी लेने गयी हो और उसे बाघ अपनी चपेट में ले लेता है तो वह आदमखोर नहीं है। तब सरकार को अपने आदेश को वापस लेना पड़ा था। उन्होंने यह भी कहा था कि देश में लगातार बाघों की संख्या घट रही है। ऐसे में बाघ को मारने का आदेश वन अधिनियम और पर्यावरण के हिसाब से कहीं से न्यायोचित नहीं है । तब सरकार ने बाघ को जिंदा पकड़कर चिड़ियाघर में रखने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा करना सबका दायित्व ही नहीं कर्तव्य भी है।

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